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समयवाद

samaywad

स्वाति शर्मा

अन्य

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स्वाति शर्मा

समयवाद

स्वाति शर्मा

और अधिकस्वाति शर्मा

    कमरे की चारों दीवारों पर

    रोज़ परछाइयों से

    समय लिख रहीं

    सूरज की किरणें

    हर पहर

    एक के बाद एक

    सुनहरे लिबास बदलती दीवारें

    समय के सिवा कुछ नहीं

    अपनी मेज़ पर

    वक़्त से जूझता

    मेरा मेरे बिंबों से होता

    निरंतर झगड़ा

    इन्हें तारीख़ का गवाह ही

    बनाना है बस

    सच के सिवा कुछ नहीं

    अभूतपूर्व संकट से

    उबरने को

    नेताओं की ऐतिहासिक घोषणाएँ

    ताली, थाली, दिया, पुष्प-वर्षाएँ

    मुँह ढक कर चल रही

    ज़रूरी लंबी मीटिंग

    हर पल रचे जा रहे

    राहत के रिकॉर्ड

    झूठ के सिवा कुछ नहीं

    बाहर सड़क पर

    प्रतिरोध की गाथाएँ

    साहस और सब्र की सीमाएँ

    क़िस्मत सरीखी उलटी चलती रेलें

    पैरों से सड़कों पर

    इतिहास गोदते हुजूम

    इन सबके लिए

    भीड़ या भाड़ के सिवा कुछ नहीं

    स्रोत :
    • रचनाकार : स्वाति शर्मा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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