सागर के तट पर

sagar ke tat par

अलका सिन्हा

अलका सिन्हा

सागर के तट पर

अलका सिन्हा

और अधिकअलका सिन्हा

    सागर की पारदर्शी देह पर थिरकती हैं

    रहस्य और रोमांच से आह्लादित लहरें

    रेतीली ज़मीन पर लिखती हैं 

    प्रेम की अमिट कहानियाँ...

    समर्पित होने से ठीक पहले 

    आवेग से आती हैं

    पुरजोर टकराती हैं

    और टूटती हैं सागर के तट पर!

    सीप-शँख, मूँगा-मोती छोड़कर किनारे

    अतल गहराइयों में समा जाते हैं धारे

    सागर फिर भर देता है अनूठी सौगातें

    शोख, चंचला-सी इतराती

    दर्प से दपदपाती, 

    मदमाती लहरें 

    फिर-फिर उठती हैं  

    और टूटती हैं सागर के तट पर!

    अनवरत ज़ारी रहता है यह क्रम

    सैलानियों के चले जाने के बाद भी

    जब ग़ुम हो जाती हैं आस-पास की बत्तियाँ

    मिट जाती हैं मिलन-बिछोह की निशानियाँ

    तब लहरें करती हैं आत्मसात्

    मधुर मिलन का आस्वाद

    अकथ प्रेम का आह्लाद

    और टूटती हैं सागर के तट पर!

    धीरे-धीरे झरने लगता है आकाश

    उतरने लगता है सागर के भीतर

    दबे पांव आती है चाँदनी

    टांकती है चुंबन, पारती है गोदना

    प्रेमी के नाम का लहरों की देह पर...

    दूर क्षितिज पर गूँजती है शहनाई

    लहरें भरती हैं अंगड़ाई

    और टूटती हैं सागर के तट पर!

    अतल और अनंत का मिलन

    प्रकृति का अटूट समर्पण

    करता है लहरों की गोद भराई

    प्रेम आकार पाता है

    गर्भस्थ शिशु-सा इठलाता है

    लहरें बलिहारी जाती हैं

    ख़ुद पर इतराती हैं

    और टूटती हैं सागर के तट पर!

    मन के भीतर भी लहराता है सागर

    उद्दाम इच्छाएँ करती हैं अठखेलियाँ

    एक के बाद दूसरी, अनंत पहेलियाँ

    समय बहा लिए जाता है होकर निस्संग

    रेत पर लिखे प्रेम अनुबंध

    अनुभूतियाँ, आसक्तियाँ कहाँ तक ठहरें

    वीतरागी हो जाती हैं अनुरागी लहरें

    और टूटती हैं सागर के तट पर!

    स्रोत :
    • रचनाकार : अलका सिन्हा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY