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किसी ने भी छीना नहीं

kisi ne bhi chhina nahin

मारीना त्स्वेतायेवा

अन्य

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मारीना त्स्वेतायेवा

किसी ने भी छीना नहीं

मारीना त्स्वेतायेवा

और अधिकमारीना त्स्वेतायेवा

    नोट

    प्रख्यात रूसी कवि ग्रावील रोमानोविच देर्झाविन (1743-1816) के प्रति समर्पित कविता।

     

    किसी ने भी कुछ नहीं छीना मेरे हाथों से—
    अच्छा लगता है मुझे हमारा अलग-अलग रहना।
    चूमती हूँ मैं तुम्हें
    इस सौ-सौ मील दूर के फ़ासले से।

    जानती हूँ बराबर नहीं है हमारी प्रतिभा,
    पहली बार आज चुप है मेरी आवाज़।
    क्या महत्त्व तुम्हारे लिए, ओ युवा देर्झाविन1,
    मेरी इन गँवार कविताओं का!

    दुआ माँगती हूँ तुम्हारी डरावनी उड़ान के लिए
    उड़ान भरो, ओ मेरे युवा बाज,
    चौंधियाईं नहीं तुम्हारी आँखें सूर्य के आगे,
    चौंधिया जाएँगी क्या वे मेरी युवा नज़र के सामने!

    इतनी अधिक कोमलता, इतनी अधिक ख़ामोशी से
    किसी ने भी नहीं देखा तुम्हें पीछे से...
    चूमती हूँ तुम्हें
    इस सौ-सौ वर्ष दूर के फ़ासले से।

         
    स्रोत :
    • पुस्तक : इस बेसहारा वक़्त में (पृष्ठ 79)
    • रचनाकार : मारीना त्स्वेतायेवा
    • प्रकाशन : प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली
    • संस्करण : 2013

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