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रोज़ाना

rozana

सुशीलनाथ कुमार

अन्य

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और अधिकसुशीलनाथ कुमार

    मैं रास्ता भूल गया हूँ

    बरसों पहले घर से निकला था

    मवेशियों को साथ लेकर

    सालों से एक झोंपड़ी में रहता हूँ

    आस-पास गाँव बस गया है

    पास ही एक नदी बहती है

    जंगल से निकलती हुई

    जिधर सूरज डूबता है

    मेरा कुत्ता रात गए उधर मुँह करके रोता है

    मैं नित नए जतन करता हूँ

    हर बार असफ़ल होता हूँ

    और चारपाई पर लेटे-लेटे

    तारामंडल में कहीं गुम हो जाता हूँ

    वापसी की कोशिश में

    भूलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है

    मैं रोज़ाना उगते-ढलते सूरज को देखता हूँ

    तारों की गति को निहारता हूँ

    सब नियमित कारोबार की तरह

    रोज़ाना वापस घर पहुँच जाते हैं

    घास चरकर शाम में खूँटे पर वापस लौटे

    मवेशियों की तरह

    मुझे पता है

    ध्रुव तारा उत्तर दिशा में निकलता है

    भटके हुए को रास्ता दिखाता प्रकाशस्तंभ

    पर मुझे स्थिरता में यक़ीन नहीं

    और गतिशीलता हर बार मुझे भटका देती है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुशीलनाथ कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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