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रहमान : नुजूल-ए-वाही

rahman ha nujul e wahi

अनुवाद : तुषार धवल

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

अन्य

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दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

रहमान : नुजूल-ए-वाही

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

और अधिकदिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

    (पैग़म्बर को ख़ुदा का पैगाम)

    गली में बिखरे हुए हैं शीशों के टुकड़े

    ईंट पत्थर

    अलकतरे पर जमे ख़ून के

    बदरंग होते धब्बे

    हवा में एक जली हुई महक है

    जनाज़ों को गुज़रे कुछ वक़्त हो गया है

    घरों के खिड़की दरवाज़े अब भी बंद हैं

    जो भी ख़ून-ओ-फ़साद यहाँ से गुज़रा है

    रहेगा दर्ज़ किसी के दिल में

    किसी के दिमाग़ में

    और किसी की साँसों के चलने में

    काले चश्में पहना स्मगलर आया था

    मर्सिडीज़ गाड़ी में

    उसके चार बॉडीगार्ड थे

    उसके पास विदेशी कॉल्ट पिस्तौल थी

    उसने सूटकेस खोला और पैसे बाँट दिए

    पच्चीस हज़ार हर उस घर में

    जहाँ मौत हुई थी

    और उसने कहा

    किसी ने बेटा खोया, किसी ने बाप

    किसी ने चाचा, किसी ने भतीजा

    वे मारे गये इस जिहाद में

    और अल्ला के प्यारे बनकर

    सीधा जन्नत चले गये

    रहमान ने कहा

    मैं अंधा हूँ

    मुझे दंगे-फ़साद नहीं दीखते

    नहीं समझ सकता ख़ून-खराबा

    मुझे सिर्फ़ सुनाई पड़ता है माँ का रोना, बाप का बेतहाशा खाँसना

    बीवी की बेबस रुलाई

    उसके मासूम बच्चे की

    खिलती हँसी

    तुम लोग कौन हो?

    हमारे घरों में हुई मौतों से तुम दुखी

    कैसे हो?

    और कैसे हर लाश की कीमत

    एकदम पच्चीस हज़ार ही है?

    अब अनवर मियाँ को ही लो

    उनकी हँसी सोने की हज़ारों दीनार सी खनकती हुई

    गूँज जाती थी

    और मुशीर की आँखों में

    कोहिनूर की चमक थी

    स्मगलर ने पूछा

    कौन हो आप?

    यह तो हमारे लोग थे

    जो मारे गये

    और जिसे काटा गया है

    वह था हमारे कलेजे का टुकड़ा

    क्या आप हमारा दर्द

    समझ नहीं सकते

    और यह तो हमारा फर्ज़ है

    जिसे अदा कर रहे हैं

    याSअल्ला! परवरदिगार!

    रहमान ने कहा

    तुमने मेरी आँखें छीन लीं

    यह कृपा की

    अब इनको रोशनी दे दो

    अल्-हम्दुलि’ल्लह

    अल्-हम्दुलि’ल्लह

    इल्ल’ल्लह!

    अल्-हम्दुलि’ल्लह

    अल्-हम्दुलि’ल्लह

    इल्ल’ल्लह!

    अल्लहा-ओ-अकबर!

    नूर-ए-मुजस्सम।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मैजिक मुहल्ला खंड दो (पृष्ठ 34)
    • रचनाकार : दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2019

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