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मेरे पास बेटी

mere pas beti

अतुल कनक

अन्य

अन्य

अतुल कनक

मेरे पास बेटी

अतुल कनक

और अधिकअतुल कनक

    मेरे पास सोई नन्ही बेटी

    जैसे आँख के क़रीब नींद

    नींद के सिरहाने सपने,

    सपनों की जेब में सुख

    सुख की मुट्ठी में कल

    और कल के चेहरे पर अंकित

    दो अक्षर आस के...

    मेरे पास सोई मेरी लाड़ली

    जैसे ऊँचे पहाड़ों पर

    सुगंध झोली में लेकर चलती हवा

    हवा के बहाव से काँपता झील का पानी

    और पानी पर उकेर दी हों किसी ने

    संतूर पर कोई राग बजाकर

    लोरी की छवियाँ...

    मेरे क़रीब सोई मेरी लाड़ली

    जैसे जागकर आशीष देते हों पुरखे,

    कि कमरे में उतर आई हो चाँदनी,

    कि सजीव हो गए हों गीतों के बोल

    कि मुझसे ही संवाद करता हो मौन।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक भारतीय कविता संचयन राजस्थानी (1950-2010) (पृष्ठ 135)
    • रचनाकार : अतुल कनक
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2012

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