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क़साईबाड़े की ओर

qasaibaDe ki or

हरीशचंद्र पांडे

अन्य

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हरीशचंद्र पांडे

क़साईबाड़े की ओर

हरीशचंद्र पांडे

सुंदरता के अपने मायने हैं

क़साई छाँटता है सुंदर बकरी

मन ही मन बोलता है

मन ही मन तोलता है

क़साई उमेठता है उसके कान

बकरी म्याऽऽऽ करती है

बहुत सही है बकरी

बहुत ख़ुश है क़साई

क़साई बैठता है रिक्शे पर

गोद में बिठाता है बकरी को प्यार से

क़साई सब कुछ जानता है

बकरी कुछ भी नहीं जानती

बकरी के कान पर बैठ जाती है मक्खी

बकरी संवेदनशील है

क़साई उससे भी अधिक संवेदनशील है

क़साई भागता है मक्खी

हल्के-से मलता है कान

बकरी सोचती है

दुनिया का सबसे नेक आदमी मेरे पास है

क़साई अनजाने में भी सहलाता है कान

उसकी आँखें बकरी के कान पर हैं

उसका रिक्शा

क़साईबाड़े की ओर जा रहा है...

स्रोत :
  • रचनाकार : हरीशचंद्र पांडे
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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