Font by Mehr Nastaliq Web

प्रियतमा का सौंदर्य

priyatma ka saundarya

अनुवाद : नवारुण वर्मा

लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ

अन्य

अन्य

लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ

प्रियतमा का सौंदर्य

लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ

और अधिकलक्ष्मीनाथ बेजबरुआ

    किसलिए चाहिए सिंदूरी गाल

    प्रेमी पतंग की आग, अरे

    ‘कोवा भातुरीया’* छलना के अधरों के नीचे

    नागिन रहती सोई।

    किसलिए चाहिए तिरबिर झलमल आँखें

    ज्यों स्वर्ग के तारे

    चाहिए किसलिए वैसी उभरी छाती नवजीत कोमल

    फिसले मदन के कदम जहाँ रे

    क्या है ज़रूरत लंबे मेघ-वर्ण के

    सागर लहरों जैसे बाल

    प्रेम-बावले की हृदय तरणी

    जिसमें डूब चली जाती पाताल

    मृणाल करों से क्या होने वाला

    जो मत्त प्रणयी के हिंडोले भर

    पंचम मधुबोली होती व्याध की तुरही

    कर रखती केवल विभोर

    सुगोल, सुगठित सुवलित चारु

    बाँहें जाँघें कर उरोज

    हैं ये सभी पैने-पैने आयुध

    सान चढ़े नुकीले वाण-प्रखर

    नहीं चाहिए सुंदरी जो हर ले मन-प्राण

    दे दो मुझे ऐसा हृदय

    जिस हृदय में डूब मेरे ये प्राण

    खो जाएँ, हो निर्भय,

    दो ऐसा प्रेम जो प्रेम

    कर देता अलग अस्तित्व विलोप

    प्रणय-मदिरा देना मुझे ऐसा

    चिरंतन नशा हो कभी लोप

    चाहिए ऐसा चुंबन शुद्ध हृदयों को जो दे जोड़

    आँखें ऐसी जो हों खुले द्वार

    प्रेम का उन्मुक्त भंडार

    बात नहीं है प्रेम, प्रेम है मुरली की पुकार

    कपट जिसमें होता नहीं कोई,

    प्रेम-प्रेम में प्रेम की डोरी

    बंधन कहते, उसे बेकार

    मत देना, मत देना ऐसी सुंदर प्रतिमा

    जो हो केवल सौंदर्य की खान

    गुलाबी हँसी रहे अधरों पर

    पर अंतर में काल नागिन प्रमाण।

    कोमल अंतर, प्रेममय मन

    कोमल शीतल हृदय

    जितना चाहो दे दो, प्यारे दिन-रात रहे मन

    अचल, अटल, निर्भय।

    1. छलना बाहर रंग-रंगीला अंदर से निस्सार

    स्रोत :
    • पुस्तक : बेजबरुआ की चुनी हुई रचनाएँ (पृष्ठ 11)
    • रचनाकार : बेजबरुआ
    • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
    • संस्करण : 2008

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए