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प्रधानमंत्री पर अविश्वास

prdhanmantri par awishwas

उमा शंकर चौधरी

उमा शंकर चौधरी

प्रधानमंत्री पर अविश्वास

उमा शंकर चौधरी

आजकल मैं जितनी भी बातों को देखता और सुनता हूँ

उनमें सबसे अधिक मैं

प्रधानमंत्री की बातों पर अविश्वास करता हूँ

जानने को तो मैं यूँ यह जानता ही हूँ कि

यह जितना आश्चर्य और कौतूहल का समय है

उससे अधिक स्वीकार कर लेने का समय है

पर मैं प्रधानमंत्री की बातों को स्वीकार नहीं कर पाता हूँ

प्रधानमंत्री जो बोलते हैं

मैं उसे ठीक उसी रूप में नहीं ले पाता हूँ

प्रधानमंत्री का झूठ मुझे उनके चेहरे पर हर बार दिखता है

वैसे तो इस लोकतंत्र में मुझसे लगभग

यह वचन लिया गया था कि

मैं कम से कम प्रधानमंत्री की बातों पर ज़रूर विश्वास करूँ

लेकिन आजकल देखी-सुनी सारी बातों में मैं

सबसे अधिक प्रधानमंत्री की बातों पर ही अविश्वास करता हूँ

मेरी गहरी नींद को चीरकर घुप्प अँधेरे में

अक्सर मेरे सपने में आते हैं प्रधानमंत्री

सपने में आते हैं प्रधानमंत्री और मैं उन्हें पहचान लेता हूँ

उस घुप्प अँधेरे वाले सपने में प्रधानमत्री

कुछ बुदबुदाते हैं

कुछ ठोस वायदे करते हैं

कुछ सलाह और मशवरे देते हैं और ग़ायब हो जाते हैं

मेरे सपने से ग़ायब हुए प्रधानमंत्री

मुझे इस देश के सबसे बड़े मसख़रे दिखते हैं

दिन के उजाले में चाहता हूँ

प्रधानमंत्री की ढेर सारी बातों पर विश्वास कर लूँ

चाहता हूँ मान लूँ प्रधानमंत्री को ठोस प्रतिनिधि

लेकिन ऐसा सोचते ही हर बार करोड़ों भूखी आँखें मुझे घूरने लगती हैं

बंदूक़ाें की चलने की आवाज़ें मेरे दिमाग़ की नसों को

तड़काने लगती हैं

और फिर मैं अपने ऊपर अविश्वास की चादर ओढ़ लेता हूँ

कई बार मैं प्रधानमंत्री की मजबूरियों को

संज़ीदगी से सुनना चाहता हूँ

कई बार मैं उनके चेहरे की दयनीयता को

अपने भीतर महसूस करना चाहता हूँ

लेकिन अगले ही क्षण मैं सतर्क हो जाता हूँ

कि प्रधानमंत्री मुझे बहुरूपिया लगते हैं

ऐसा हर बार होता है

मैं प्रधानमंत्री को कैमरे के सामने लाचार देखता हूँ

विवश देखता हूँ

आश्वासन देते देखता हूँ

लेकिन हर बार मुझे लगता है प्रधानमंत्री उस कैमरे के सामने हैं

पर प्रधानमंत्री का मस्तिष्क नहीं

प्रधानमंत्री का दिल नहीं

प्रधानमंत्री की निगाहें नहीं

प्रधानमंत्री कहते कुछ हैं और सच में कहना कुछ और चाहते हैं

प्रधानमंत्री की निगाहें जहाँ हैं

उसे हम सब समझते हैं

इसलिए प्रधानमंत्री पर हम अविश्वास करते हैं।

स्रोत :
  • रचनाकार : उमाशंकर चौधरी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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