Font by Mehr Nastaliq Web

प्रेतयोनि

pretayoni

अनुवाद : विजय वर्मा

प्रकाश प्रेमी

अन्य

अन्य

प्रकाश प्रेमी

प्रेतयोनि

प्रकाश प्रेमी

और अधिकप्रकाश प्रेमी

    मेरे मन-प्रासाद की दीवारों का

    गारा-चूना

    समय से पहले ही

    बदरंग होने लगा है।

    आशाओं की ईंटें

    धीरे-धीरे

    चिकनी मिट्टी-सम

    घुलने लगी हैं।

    मेरे 'बीरन' घास जैसे हरे

    और

    त्रेतायुगी साधु-साधनियों के

    'वल्कली' वस्त्रों में

    रहने वाले दुग्ध श्वेत ख़रगोश का रंग

    बिलकुल लाल हो गया है

    उस भोले खरगोश की किलकें

    इशारा करती हैं कि

    वह अवश्य

    वज्र के किसी बड़े टुकड़े से आहत हुआ है।

    उसकी बाहर आती मोटी आँखें देखकर

    माँ-बाप की डाँट के बावजूद

    पड़ोसियों का छोरा

    किलकारियों एवं ठहाकों में

    ऐसे प्रसन्न हो रहा है

    मानो रेगिस्तानी मैदान में

    दशकों बाद बारिश हुई हो।

    संभवतः यह किसी

    प्रेतात्मा का प्रभाव है।

    मेरा मन श्वेत ख़रगोश पालने से

    इनकार कर रहा है

    मेरी समस्त इच्छाओं

    एवं यत्नों के बावजूद

    बिना सोचे-समझे

    हानि मेरी भी हो सकती है

    एक ख़ूँख़ार साँड़ पाल लूँ

    पड़ोसी के घर बसी

    प्रेतात्मा का प्रभाव

    पड़ने लगा है मुझ पर भी।

    अपने कर्त्तव्य की सुदृढ़

    खिड़कियाँ-दरवाज़े लगाकर

    रोकने का मेरा असफल प्रयत्न

    सफलता के प्रकाश से

    दूर भाग रहा हूँ

    दूर, बहुत दूर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक डोगरी कविता चयनिका (पृष्ठ 130)
    • संपादक : ओम गोस्वामी
    • रचनाकार : प्रकाश प्रेमी
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2006

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए