Font by Mehr Nastaliq Web

अनजनमे शिशु की प्रार्थना

anajanme shishu ki pararthna

लुईस मैकनीस

अन्य

अन्य

लुईस मैकनीस

अनजनमे शिशु की प्रार्थना

लुईस मैकनीस

और अधिकलुईस मैकनीस

    अभी नहीं मैं ले पाया हूँ जन्म!

    सुनो, सुनो शर्तें मेरी,

    जिनके बिना मैं इस धरती पर आऊँगा

    ख़ून चूसने वाले ये चमगादड़, चूहे,

    क़ब्र खोदने वाली नरभक्षी छायाएँ

    क़तई मेरे पास आएँ!

    अभी नहीं मैं ले पाया हूँ जन्म!

    मुझको दो आश्वासन, दो आश्वासन मुझको,

    जिसके बिना मैं इस धरती पर आऊँगा!

    मुझको भय है

    तथाकथित यह मानव नामक जाति

    ऊँची दीवारों के अंदर मुझे करेगी क़ैद,

    चालाकी से भरे असत्यों से

    मुझको विचलित कर देगी;

    सोने की मदिरा से बदहवास कर देगी,

    काले कठिन शिकंजों में मुझको कस देगी,

    ख़ून-सने मैदानों में

    कर देगी मेरी सैनिक हत्या!

    अभी नहीं मैं ले पाया हूँ जन्म,

    मेरे लिए प्रबंध करो ताज़े पानी का,

    जिसमें धुलकर मेरी आत्मा स्वच्छ बनेगी

    हरी घास, जिस पर क्षण भर मैं सपने देखूँ।

    नए जवान वृक्ष जिनसे मैं बात कर सकूँ,

    खुला हुआ आकाश, छाँह में जिसकी,

    पंछी गीत सुनाएँ

    और चमकती एक किरण

    जो मुझे तमस से

    सदा ज्योति की ओर ले चले!

    अभी नहीं मैं ले पाया हूँ जन्म!

    किंतु अभी से मुझे क्षमा दो

    उन पापों के लिए जिन्हें मेरे माध्यम से

    कायर दुनिया किया करेगी!

    वे विचार, वह वाणी जो मेरे माध्यम से

    दुनिया सोचेगी, अथवा दुनिया बोलेगी—

    मुझे क्षमा दो

    उस जीवन के लिए जो कि

    अपनी हत्या करने के बाद

    मुझे जीना ही होगा!

    अभी नहीं मैं ले पाया हूँ जन्म!

    किंतु मुझे अभ्यास करा दो

    उस अभिनय का, जो मुझको करना ही होगा!

    उस धीरज का, जो उस समय शक्ति दे मुझको—

    जब बूढ़े मुझ पर अनुचित उपदेश उँडेलें,

    जब सत्ताएँ मेरी गति में बाधा डालें,

    जब ऊँचे पहाड़ मेरी क़िस्मत पर टूटें,

    जब उत्ताल तरंगें मुझको आमंत्रण दें

    जब मृग-तृष्णाएँ मुझको दर-दर भटकाएँ,

    जब मेरी ही संतानें

    चिढ़ कर मुझ पर लानत भेजें!

    अभी नहीं मैं ले पाया हूँ जन्म!

    सुनो पर!

    जो पशु है या जो अपने को ख़ुदा समझता है,

    ऐसे को मेरे पास फटकने मत दो

    अभी नहीं मैं ले पाया हूँ जन्म!

    लेकिन मुझमें भर दो इतनी ताक़त जिससे

    मैं विद्रोह कर सकूँ उससे—

    जो मेरी मानवता को काले पत्थर में बदल रहा हो,

    जो मुझको मशीन का पुर्ज़ा बना रहा हो,

    जो मेरा व्यक्तित्व कुचलने को आतुर हो,

    जो मेरी पूर्णता धूल में मिला रहा हो,

    जो मुझको मुर्दा पत्ते की तरह

    वहाँ से यहाँ, यहाँ से वहाँ उड़ा ले जाना चाहे!

    मुझको पूरा मौक़ा दो

    अपनी सार्थकता सिद्ध कर सकूँ

    मैं अपना हक़ अदा कर सकूँ

    सड़ी लाश-सा भूखे गिद्धों से खाए जाने के पहले!

    वरना मेरा गला दाब दो

    धरती पर लाने के पहले!

    स्रोत :
    • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 121)
    • संपादक : धर्मवीर भारती
    • रचनाकार : लुईस मैकनीस
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
    • संस्करण : 1960

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए