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प्रवाद पर्व

pravad parv

मधु सिंह

मधु सिंह

प्रवाद पर्व

मधु सिंह

क़ैद हैं आज सभी

प्रवाद के जंगल में

इसकी-उसकी सबकी

ऐसी-वैसी करने में

भूल कबीर की वाणी

सब खड़े हैं

हिंसा के मैदान में

मेहनत भूल

वे फंसे हैं

दुनिया के प्रवाद पर्व में

इतिहास गवाह है

मानव ने सबसे पहले

ख़ुद को किया था मुक्त

अरण्य से

पर आज हम

नहीं कर सके मुक्त

ख़ुद को पशुत्व से

काम-क्रोध-लोभ

मोह के अरण्य में

हम जा रहे हैं फंसते

भूल मनुष्यता का पाठ

रच रहे हैं नित्य पशुता का ठाट

याद कीजिए

शबर जाति की शबरी को

रहकर पशुओं संग

बचाया था उसने आदमियत का रंग

जाति नहीं कर्म से हुई वो महान

काम के प्रति

सच्ची भक्ति और श्रद्धा से ही

बना उसका जीवन पावन

जूठे बैर खा

भगवान राम ने

अपना कर्तव्य निभाया

सच यही जीवन का

सबको भाया

सुनो

कर्म नहीं है प्रवाद पर्व

मानव से मानव का

प्रेम ही

है कर्म का महापर्व

स्रोत :
  • रचनाकार : मधु सिंह
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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