Font by Mehr Nastaliq Web

अस्पताल से रपट

asptaal se rapat

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

अन्य

अन्य

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

अस्पताल से रपट

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

और अधिकवीस्वावा षिम्बोर्स्का

    हमने माचिस की तीलियों से तय किया : उससे मिलने कौन जाए।

    मुझे चुना गया। मैं मेज़ से उठा।

    अस्पताल में मुलाक़ात का समय शुरू होने वाला था।

    मेरे अभिवादन का उसने कोई जवाब नहीं दिया।

    मैं उसका हाथ थामना चाहता था—उसने पीछे हटा लिया

    एक भूखे कुत्ते की तरह जो अपनी हड्डी नहीं छोड़ेगा।

    लगा कि वह मरने के बारे में झेंप रहा है।

    ऐसे व्यक्ति से, मैं नहीं जानता, क्या कहा जा सकता है।

    हमारी निगाहें एक-दूसरे से कतरा रही थीं, जैसे फ़ोटो-मोंताज में।

    उसने मुझसे रुकने को कहा, जाने को।

    हमारी मेज़ पर बैठे किसी के बारे में उसने नहीं पूछा।

    तुम्हारे बारे में, बलराम। तुम्हारे बारे में, घनश्याम। ही तुम्हारे बारे में, सुखधाम।

    मेरा सिर दर्द करने लगा। कौन किसके लिए मर रहा है?

    मैंने चिकित्सा की तारीफ़ की और एक ग्लास में सजे तीन बैंजनी फूलों की।

    मैंने धूप के बारे में बात की और कुम्हलाता रहा।

    यह कितना अच्छा है कि सीढ़ियाँ हैं जिनसे दौड़कर उतरा जा सकता है।

    यह कितना अच्छा है कि एक दरवाज़ा है जिसे खोला जा सकता है।

    यह कितना अच्छा है कि तुम मेज़ पर मेरी प्रतीक्षा कर रहे हो

    अस्पताल की गंध से मुझे मिचली आती है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कोई शीर्षक नहीं (पृष्ठ 65)
    • रचनाकार : कवयित्री के साथ अनुवादक अशोक वाजपयी और रेनाता चेकाल्स्का
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए