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रामकुमार तिवारी के लिए

ramakumar tivari ke liye

प्राची

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रामकुमार तिवारी के लिए

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    ओलंका,

    चेख़व मानवीय अभिव्यक्ति के लेखक हैं

    झूठी मुलाक़ात में ये एक किरदार

    अंदर तक घर कर गया

    ओलंका डार्लिंग,

    तुम ख़ुद से प्रेम करो

    तुम कितनी भोली हो

    या बेवक़ूफ़

    कितना प्रेम दोगी?

    दे पाओगी?

    आख़िर तक?

    तुम थकती नहीं ओलंका?

    तुम थकती हो?

    संभावित लेखक…

    ओलंका क्या तुम मुझसे इतना प्रेम कर पातीं

    कि दूसरे संग-समागम तक से डरो

    बस मुझ तक आने के लिए?

    तुम कर सकती हो इतना प्रेम—

    बिना प्रेम की अपेक्षा किए?

    तो उन्होंने बताया ही नहीं

    कि उसने अपने बच्चे के लिए

    जब दुनिया भर का प्रेम माँगा

    और उसे पता लगा कि ये वरदान नहीं

    अभिशाप माँग लिया है

    तो फिर क्या हुआ?

    उसके बाद?

    उसने प्रेम करना नहीं सीखा न?

    वह जीवन भर ऐसे ही कठोर बना रहा?

    तुम्हें नहीं लगता—

    हम सबकी माँओं ने एक साथ ये माँगा हो

    कि उनके बच्चों को पूरी दुनिया प्रेम करे

    और हम सभी अभिशप्त हो गए हों—

    जीवन भर के लिए…

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्राची
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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