Font by Mehr Nastaliq Web

फिर लोहे के गीत हमें गाने होंगे

phir lohe ke geet hamein gane honge

शशिप्रकाश

अन्य

अन्य

शशिप्रकाश

फिर लोहे के गीत हमें गाने होंगे

शशिप्रकाश

और अधिकशशिप्रकाश

    फिर लोहे के गीत हमें गाने होंगे।

    दुर्गम यात्राओं पर चलने के संकल्प जगाने होंगे।

    फिर से पूँजी के दुर्गों पर हमले करने होंगे।

    नया विश्व निर्मित करने के सपने रचने होंगे।

    श्रम की गरिमा फिर से बहाल करनी होगी।

    सुंदरता के मानक फिर से गढ़ने होंगे।

    फिर लोहे के गीत हमें गाने होंगे।

    सत्ता के महलों से कविता बाहर लानी होगी।

    मानवात्मा के शिल्पी बनकर आवाज़ उठानी होगी।

    मरघटी शांति की रुदन भरी प्रार्थना रोकनी होगी।

    आशाओं के रणराग हमें रचने होंगे।

    फिर लोहे के गीत हमें गाने होंगे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कोहेक़ाफ़ पर संगीत-साधना (पृष्ठ 130)
    • रचनाकार : शशिप्रकाश
    • प्रकाशन : परिकल्पना प्रकाशन
    • संस्करण : 2006

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए