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पता

pata

अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र

सच्चिदानंद राउतराय

अन्य

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और अधिकसच्चिदानंद राउतराय

    कहो तो मुझे कौन बताएगा मथुरा का पता

    कहो नगरवासियों

    मैं एक ब्रजवासी हूँ, आया हूँ वृंदावन से

    गोकुल जिसका डाकघर है

    मथुरा जिसका ज़िला।

    सुना है यहाँ कोई एक राजा थे

    श्याम वर्ण के।

    वे सौलह सौ कमल

    एक साथ खिला सकते थे सहस्र किरणों से।

    रचते थे अनेकों आकाश

    विचित्र वर्गों के

    भिन्न-भिन्न ऋतुओं के भिन्न-भिन्न स्वरों के

    किंतु नदी थी एक—

    अंतरंगनदी।

    मैं एक ब्रजवासी हूँ

    गोकुल जिसका डाकघर है

    ज़िला जिसका मथुरा,

    सदर महक़मा।

    मैं चाहता हूँ बस एक चीज़ जानना।

    मेरी चाह बस यही है—

    उड़ती पताका सहित एक घर का नंबर।

    जिसके भीतर कक्ष

    कक्ष उसके भीतर।

    उसके भीतर...।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बसंत के एकांत ज़िले में (पृष्ठ 114)
    • रचनाकार : सच्चिदानंद राउतराय
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
    • संस्करण : 1990

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