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प्रकाश की प्रशंसा का गीत - 8

parkash ki prshansa ka geet - 8

अनुवाद : त्रिनेत्र जोशी

आई छिंग

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आई छिंग

प्रकाश की प्रशंसा का गीत - 8

आई छिंग

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    अगर व्यक्ति का जीवन ओस की बूँद की तरह अल्प भी हो,

    अगर गंगा के तट की महीन रेत की तरह हो,

    यह अपनी सामर्थ्य से ज़्यादा प्रकाशित होती है

    एक ओछे व्यक्ति

    खगोलीय प्रतिमाओं के बीच धूल के एक कण के नाते

    दबी आवाज़ में, मैंने गाया,

    स्वतंत्रता रहित उन महीनों और वर्षों में, मैंने स्वतंत्रता का तराना गाया।

    मैं उत्पीड़ित राष्ट्र का एक व्यक्ति हूँ, मैं मुक्ति का गीत गाता हूँ।

    इस विशाल विश्व में

    जिनका अपमान हुआ है, उनके लिए गाया है,

    जिनका शोषण हुआ है, उनके लिए गाया है,

    मैंने विद्रोह का मान किया है, क्रांति का गान किया है,

    घोर अँधेरी रात में मैं भोर के साथ आशा प्रदान करता हूँ,

    विजय के ज़ायके़ के साथ, मैं सूर्य के बारे में गाता हूँ।

    मैं विशाल आग की एक चिनगारी भर हूँ,

    मेरे जीवन की आग बुझाने से पहले,

    मैं आग में कूदता हूँ, प्रकाश में कूदता हूँ,

    'एक' और 'असंख्य' एक साथ कर देता हूँ,

    और सत्य के संघर्ष का संवर्धन करता हूँ,

    और इस संघर्ष में लोगों के साथ क़दम मिलाकर आगे बढ़ता हूँ।

    मैं हमेशा प्रकाश की प्रशंसा में गाता रहूँगा।

    प्रकाश जनता का है,

    भविष्य जनता का है

    हर संपत्ति जनता की है।

    प्रकाश के साथ हम साथ-साथ आगे बढ़ते हैं,

    प्रकाश के साथ हम एक साथ विजयी होते हैं।

    विजय जनता की है,

    जनता के साथ हम अभेद्य हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 178)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : आई छिंग
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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