Font by Mehr Nastaliq Web

पर-पुरुष में सदा प्रेमी ही नहीं तलाशती स्त्रियाँ

par purush mein sada premi hi nahin talashti striyan

निधि अग्रवाल

अन्य

अन्य

निधि अग्रवाल

पर-पुरुष में सदा प्रेमी ही नहीं तलाशती स्त्रियाँ

निधि अग्रवाल

और अधिकनिधि अग्रवाल

    पर-पुरुष में सदा प्रेमी ही नहीं तलाशती स्त्रियाँ

    कभी-कभी वे तलाशती हैं एक पिता

    जो संबल बने उनकी सभी असफलताओं का

    और समझ सके उनकी अनकही व्यथा।

    पुरुष नहीं चाहता पिता होना

    क्योंकि पिता होने के लिए कर देना

    पड़ता है…

    समस्त उच्छृंखलताओं का त्याग

    बेटियाँ प्रेमिकाओं-सी

    नेत्रहीन नहीं होतीं,

    ही उन्हें मीठी बातों से

    भरमाया जा सकता है,

    वह देखना चाहती हैं

    पिता को आदर्शों के उच्चतम

    पद पर विराजे

    पिता को पतनोन्मुख देख

    मौन सिसकती हैं बेटियाँ।

    पुरुष, तुम कर लेना झूठा प्रेम

    किन्तु...

    पिता होने का स्वाँग नहीं रचना।

    प्रेमियों के छल से,

    कहीं गहरे परिचित होती ही हैं प्रेमिकाएँ

    किन्तु बेटियों ने नहीं देखा है

    पिता का कलुषित होना!

    स्रोत :
    • रचनाकार : निधि अग्रवाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए