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पानी

pani

ओम प्रभाकर

अन्य

अन्य

और अधिकओम प्रभाकर

    उस पुराने पीपल के पास

    ढूह से उगे बैठे हैं वे

    खाँसते हुए बलग़म थूकते हुए

    राम-राम के साथ।

    वहाँ से चलते समय

    किसी ने कुछ खाया था या नहीं...

    हाँ, एक बाल्टी दस आदमी के हिसाब से

    आचमन ज़रूर कर आए हैं।

    वे यहाँ पानी के लिए आए हैं।

    बिटिया ब्याह को है और

    कक्का की बरसी सिर पर गई है

    और ये मैक्सिकन ससुरा छह पानी माँगता है और

    इन्हें एक भी नहीं मिला।

    नारद ने दी ख़बर कि

    ज़िला सदर मुक़ाम पर वरुणदेव रहते हैं।

    खाँसते-बलग़म थूकते राम-राम के साथ

    वे यहाँ पानी के लिए आए है।

    नारद ने ख़बर दी कि

    पानी वरुण के वक्ष-केंद्र में है

    तुम अगर उसे फोड़ दो तो

    सारी नदियाँ-बाँध-नहरें

    लबालब हो जाएँगी।

    —किस रंग के पानी से?

    —नारद दूसरे लोक जा चुके थे।

    ‘नहर में पानी तो है महाराज,

    पर ‘बेसरम’ पुर गई है गाझिन

    पानी का बहाव रुक गया है

    और मैक्सिकन छह पानी माँगता है’

    ‘बेसरम’ की जड़ भी

    ज़िला सदर मुक़ाम पर वरुणदेव

    के वक्ष-केंद्र में है... नारद ने

    आगे कहा कि तुम इसे फोड़ दो तो

    सारी नदियाँ-बाँध-नहरें...

    उस पुराने पीपल के पास

    ढूह से उगे बैठे हैं वे

    खाँसते-बलग़म थूकते राम-राम के साथ

    नारद की प्रतीक्षा करते हुए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : साक्षात्कार 40-41 (पृष्ठ 130)
    • संपादक : सोमदत्त
    • रचनाकार : ओम प्रभाकर

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