Font by Mehr Nastaliq Web

पंछियों के उड़ जाने के बाद

panchhiyon ke uD jane ke baad

चंद्र गुरुङ

अन्य

अन्य

चंद्र गुरुङ

पंछियों के उड़ जाने के बाद

चंद्र गुरुङ

और अधिकचंद्र गुरुङ

    पंछियों के उड़ जाने के बाद एक पेड़

    मेरा देश बन जाता है

    यहाँ बसँत का आगमन नहीं होता है

    चारों ओर रंग उड़ चुके बेरंग पहाड़ खड़े होते हैं

    हवा शमशान की विरक्ति गाती हुई उड़ती है

    चोटियों पे सन्नाटा लिए चिड़िया आकर बैठती है

    काँधे पे घूप के भारी पैर पड़ते हैं

    ओढ़कर निराशा का आँचल

    लंबी तान लेटते हैं दिन।

    पंछियों के उड़ जाने के बाद एक पेड़

    मेरा देश बन जाता है

    वह अकेले मुरझाया-सा रहता है

    उदास बरसात सिसकती हुई गिरती है

    यहाँ वहाँ सुनसान बंज़र भूमि के साथ दोस्ती करती हुई

    अंदर ही अंदर पीड़ा की गहरी नदी बहती है

    मुरझा जाते हैं जीवन के गीत

    कि पेड़ के उपर मचलते चहचहाते पंछी

    उड़ कर चले जाते हैं दूर परदेस।

    पंछियों के उड़ जाने के बाद एक पेड़

    मेरा देश बन जाता है

    स्रोत :
    • रचनाकार : चंद्र गुरुङ
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए