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पहला प्रेम

pahla prem

मुकेश कुमार सिन्हा

अन्य

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और अधिकमुकेश कुमार सिन्हा

    पहला प्रेम

    पापा की पुरानी फुलपैंट जैसा

    जिसे आल्टर कर पहना था पहली बार

    धड़का था दिल पहली बार

    जीव विज्ञान की

    मैडम, उचककर चॉक से

    बना रही थी ब्लैक बोर्ड पर

    संरचना देह की

    माफ़ करना,

    हरी पाड़ वाली सिल्क साडी से

    अनावृत कमर,

    पल्लू ढलकने से दिखी थी पहली बार

    निषिद्ध ही हो

    देह का आकर्षण

    मेरी देह के अंदर

    जन्मा पहली बार

    मेरा पहला सपना

    वही टीचर

    जो बताती थी

    माइटोकॉन्ड्रिया होता है उर्जागृह

    हमारी कोशिकाओं का

    मैंने कहता धीरे से

    मेरे ऊतकों में भरती हो ऊर्जा आप

    और, नींद टूट जाती छम से

    पहली बार दिल टूटा वहीं

    उसी क्लास में चली थी छड़ी—सड़ाक

    होमवर्क कर पाने के कारण

    दिल के अलिंद-निलय सब रोये थे पहली बार

    जबकि मैया से हर दिन खाता ही था मार

    मेरे पहले प्रेम की अवधि

    एक वर्ष ग्यारह महीने तीन दिन

    जिनमें नहीं ली छुट्टी एक भी दिन

    पहला प्रेम

    पहली फुलपैंट

    पहली प्रेमिका

    खो चुके हैं मेरे गाँव की पगडंडियों पर

    हाँ, जब इस बार पहुँचा

    मन की उड़ान ले रही थी साँस

    धड़ककर।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मुकेश कुमार सिन्हा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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