महाभारत

mahabharat

गोपालकृष्ण रथ

अनंत प्रसविनी माँ

नहीं जानती थी

अपने-जरायु का ऐश्वर्य।

योजन-योजन रेशम की साड़ियाँ कहाँ से आएँगी,

कैसे सात महारथी

पौरुष विसर्जित कर मस्त हो जाएँगे नरसंहार में,

गर्भ की संतान को भी

ढाल की तरह बचाएगा सुदर्शन।

कटा हुआ सिर

युद्ध देखने की इच्छा पूरी होने पर कहेगा

कोई नहीं था वीर

सिर्फ़ एक चक्र के सिवाय।

लाक्षागृह अभी भी जल रहा है

अभी भी पाँच-पाँच कटे सिर हैं तंबू में

सुपारी देकर

आमंत्रित किया गया है आतंकवाद

रक्तनदी तैरने में

पूर्णाहुति पड़ रही है

विश्व का क्षत-विक्षत है भूगोल।

धरती को बींधकर बूँदभर पानी दो मुझे

मेरे उत्तराधिकारियों,

मैं थकाहारा क्षत-विक्षत

वाणों की शय्या पर लेटा हूँ।

व्यासदेव,

अब प्रस्तुत करो अपना महाकाव्य :

धर्म संस्थापन के नाम पर

खून बहाकर :

और भगवान

ख़ुद-ब-ख़ुद निकलें जुलूस में

शव ढोते हुए निरीह निष्पाप शहीदों के।

एक और सृष्टि के लिए

पुनः महान इच्छा

पुनः सृजन के लिए तैयार है वह :

परम करुणामय

दिख रहे हैं अत्यंत करुण।

अहा, अत्यंत करुण।

स्रोत :
  • पुस्तक : विपुल दिगंत (पृष्ठ 115)
  • रचनाकार : गोपालकृष्ण रथ
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2019
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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