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लहलहाता-धनखेत

lahlahata dhankhet

अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित

मनोरमा बिश्वाल महापात्र

अन्य

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मनोरमा बिश्वाल महापात्र

लहलहाता-धनखेत

मनोरमा बिश्वाल महापात्र

और अधिकमनोरमा बिश्वाल महापात्र

    आकाश सी चाहत भरे

    वह आबोर कर रही थी इस संसार को

    लहलहाते-धनखेत-सी

    झूम उठती अंदर ही अंदर

    छिड़ककर प्रेम का गंगोदक

    वह हर ग़लती ठीक कर देती

    धूप और वर्षा खाकर

    पेड़ जैसे हो जाता शाखायित

    गौरैया की काकलि में

    खिलता है मातृत्व पत्ते-पत्ते में

    उसी पेड़-सी

    अनखिली, उच्चाटित आवेग से

    कैसे अपना लेती सबको

    कोमल मधुर अपनी नेह की डोर में

    अमृत में भरपूर धान गुच्छे-सी

    वह सदा नेह में भरी-पूरी

    आज इस पतझर के पलों में

    विसर्जन हो चुकी देवी मूर्ति-सी

    एकदम नीरव-निश्चल

    मेरी स्मृति के स्थापत्य में

    भिगोती, थराती अपनी वार्धक्य-छाया

    लहलहाते धनखेत-सी

    जो कभी इतनी भरपूर थी

    वह देवी-सी माँ

    आज बूढ़ी हो गई।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कभी जीवन कभी मृत्यु (पृष्ठ 68)
    • रचनाकार : मनोरमा बिश्वाल महापात्र
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 1994

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