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न्यूजपेपर हॉकर

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राजीव कुमार तिवारी

अन्य

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राजीव कुमार तिवारी

न्यूजपेपर हॉकर

राजीव कुमार तिवारी

और अधिकराजीव कुमार तिवारी

    तड़के भोर निकला हूँ

    ट्रेन पकड़ने

    दिसंबर की ठंडी

    पटना में

    अब अपना इक़बाल दिखाने लगी है

    सूरज भी अभी

    लिहाफ़ ओढ़े

    अपने ठिकाने पे दुबका पड़ा है

    पर निकल पड़े हैं

    कुछ लोग

    हस्बेमामूल

    अपनी साइकिलों और मोटर साइकिलों पर

    आगे-पीछे

    समय संसार विचार ज्ञान

    व्यापार मनोरंजन खेल-कूद

    सियासत स्वास्थ्य को लाधे

    ख़बर बाँटने

    बचपन से देखता रहा हूँ

    इस प्रजाति के लोगों को

    इसी दिनचर्या को जीते हुए

    मौसम कोई भी हो

    कैसा भी हो

    समय की इनकी पाबंदी एक-सी रहती आई है

    याद नहीं आता

    घर में अख़बार आने से पहले

    कितनी बार जगा हूँ

    जबकि अब उम्र सैंतालीस की

    होने को आई है

    अब जबकि

    मोबाइल (सोशल मीडिया) और 24*7 न्यूज चैनलों के

    धुआधार समाचार वर्षा में

    सिकुड़ा है

    अख़बार का प्रसार बहुत हद तक

    इनकी ज़िंदगी पर भी

    असर पड़ा ही होगा इसका किसी हद तक

    पर जानने की कोशिश

    हम कभी नहीं करते

    एक मनुष्य के रूप में

    ऐसी उदासीनता

    क्या अशोभनीय नहीं

    बहुत बार घेरते हैं ये प्रश्न

    ज़्यादातर तो यही लगता है

    दूसरे काम और व्यापार की तरह

    अख़बार बाँटना भी है

    कोई तभी तक उसमें टिका रह सकता है

    जब तक उसे इसमें अपना हित दिखता है

    पर बाज़ दफ़ा ऐसा भी तो होता है

    हम किसी काम से इस हद तक जुड़ जाते हैं

    कि नफ़ा नुकसान बहुत ज़्यादा अर्थ नहीं रखता फिर

    अख़बार के लिए

    हमारी कमतलबी

    आज के जैसी तो नहीं थी सब समय

    एक वो भी दिन थे

    जब आँख खुलते ही

    टॉयलेट की तरफ़ बढ़ने से पहले उन्होंने

    हम अख़बार ढूँढ़ते थे

    इसी कृतज्ञता बोध के कारण

    घरेलू बजट बनाते समय

    कैसी भी कतर ब्यौंत करते हुए

    अख़बार की आमद को

    पाबंद नहीं करता

    एक मनुष्य

    एक कवि

    होने का बीज कहीं अंदर में पड़ा है शायद

    अख़बार बाँटने वाला

    अपने विस्तृत परिवार का हिस्सा ही

    लगता रहा है

    हालाँकि सब कुछ

    लगने तक ही रहा है

    उस संबंध को

    कभी शिद्दत से निभा नहीं सका हूँ

    यही सचाई है

    और इसका ग्लानिबोध भी है

    यह भी उतना ही सच है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : राजीव कुमार तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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