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वसुंधरा, मुझे तुम्हारी याद आती है

wasundhra, mujhe tumhari yaad aati hai

अनुवाद : खड़कराज गिरी

वीरभद्र कार्कीढोली

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वीरभद्र कार्कीढोली

वसुंधरा, मुझे तुम्हारी याद आती है

वीरभद्र कार्कीढोली

और अधिकवीरभद्र कार्कीढोली

    हर सुबह, और

    हर शाम

    बहने वाली हवा जब

    मुझे छूकर गुज़रती है।

    वसुंधरा, मुझे तुम्हारी याद आती है

    और तुम्हारे उद्गार

    मुझे बेचैन कर देते हैं।

    वस्तुतः वसुंधरा!

    हर शाम

    सुबह

    मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है।

    जब तुम्हारे उद्गार मुझे छूते हैं

    तब मुझे आभास होता है।

    महसूस होता है!!

    हाँ, वसुन्धरा!

    बाड़ी की कोख में उगने वाले 'बुक्की' फूल,

    सौंदर्य की बगियाँ नहीं हैं!

    और, तन्हा पहाड़ों पर जब-तब

    उगने वाली 'उनिऊँघारी'

    हरियाली का साम्राज्य नहीं है!!

    तुम्हारी ढेर सारी चिट्ठियों में से

    एक में तुमने लिखा था—

    'अब की तुम्हारी कविताएँ

    ऐसी हों कि

    असीम आघात, पीड़ा का आभास मिले!'

    वसुंधरा!

    कविता समझती ही हो

    ऐसा तो हरगिज नहीं हो सकता :

    फकत कहता हूँ इतना ही,

    कविता आभास हो खिलती है कभी

    कविता पीड़ित हो गिरती है कभी

    कविता तो खिलती है, निकलती है कभी

    असीम आघात, पीड़ा ढोकर भी

    रहती है जीवित कभी

    अब किस ऋतु को वसंत कहें?

    और किस ऋतु को मानें शिशिर?

    बे-पता ही कविताएँ

    आघात, पीड़ित होकर मरती हैं स्वयं कभी।

    वे जब-तब, जहाँ-तहाँ उगने वाली कविताएँ

    कविताएँ हैं क्या वसुंधरा?

    बस, मन में धरो,

    कविता, बाड़ी की कोख में

    कविता, पहाड़ों की उनिऊँघारी में

    वस्तुतः वसुंधरा!

    कविता को तो सीने के खुले मैदान

    पर से उगना है।

    हाँ, वसुन्धरा!

    आजकल हर शाम

    सवेरे

    मुझे तुम्हारी याद आती है।

    लगता है : यह नाव, तुम नहीं हो

    जिसे मैं खे रहा हूँ।

    यह गंगा, तुम नहीं हो

    जहाँ अपने पाप-अपराधों के नाम

    एक अँजुरी पानी अर्पण कर रहा हूँ।

    लगता है : यह गहराई भी तुम नहीं हो

    जहाँ मैं डूब रहा हूँ

    तुम तो समझ ही पाओगी यह!

    कविता: खिलती है, निकलती है

    स्वतः मरती है जब

    वसुन्धरा! मुझे तुम्हारी याद आती है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : इस शहर में तुम्हें याद कर (पृष्ठ 13)
    • रचनाकार : वीरभद्र कार्कीढोली
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2016

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