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नए भोर का आगमन

ne bhor ka agaman

मेधा झा

अन्य

अन्य

मेधा झा

नए भोर का आगमन

मेधा झा

और अधिकमेधा झा

    नहीं, उन्हें पता नहीं होता

    कि उनका समूचा व्यक्तित्व

    एक कुपोषित ढाँचा मात्र है

    जिनमें अभाव है भावनाओं का

    क्योंकि उनका पूरा जीवन

    बीता है भय के साये में

    ये साए अनेकों रूप धरकर

    बंधक बनाए रहे उन्हें

    नियमों और परंपरा के नाम पर

    बताते रहे कि सुरक्षित है वो

    उनके घेरे में बाहर के थपेड़ों से

    घेरे से बाहर रौंध डालेगी दुनिया उन्हें

    इसलिए उन्हें अनभिज्ञ रखा गया

    बाहरी दुनिया से, ज्ञान से

    जीवन के मूल सिद्धाँत से

    हरेक शोषक ने स्वाँग रचा रक्षक का

    आँख मूंदे शोषितों ने विश्वास किया

    क्योंकि वे तैयार थे शोषण के लिए

    जिसने आवाज़ उठाया 

    शोषकों ने भिड़ा दिया शोषितों को

    उनके रहनुमाओं के ख़िलाफ़

    और लेते रहे मज़ा

    और यूँही चलता रहा चक्र

    शोषक शोषितों का हर तरफ़

    शोषक चालाकियों पर ख़ुश होता रहा

    शोषित अपनी बेचारगी पर तरस खाता रहा

    फिर चखा उसने स्वाद ख़ुशी का

    और हँस कर वरण किया मृत्यु का

    पीछे एक और, फिर एक और

    इनके रक्त ने लिखा नवीन कहानी

    नए भोर का, नई शुरुआत का।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मेधा झा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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