Font by Mehr Nastaliq Web

नया समय

naya samay

उद्भ्रांत

अन्य

अन्य

उद्भ्रांत

नया समय

उद्भ्रांत

और अधिकउद्भ्रांत

    इस अँधेरे

    बियाबान

    बीहड़ समय में

    जीवन की

    पतली-सी पगडंडी पर

    आत्म के ताप से तपे

    एक प्राणवान शब्द के सहारे

    काँपते-लड़खड़ाते

    बढ़ाता हूँ

    अपने क़दम

    यह भरोसा लिए—

    कि शब्द का सत्य

    अपने साथ शीघ्र लाएगा

    सार्थक समर्थक शब्दों की ज्योति;

    और इस अँधेरे की छाती चीर

    उगेगा—

    नए समय का

    अंशुमाली!

    स्रोत :
    • पुस्तक : अस्ति (पृष्ठ 227)
    • रचनाकार : उद्धभ्रांत
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस
    • संस्करण : 2011

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए