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मुक्ति पाने के लिए

mukti pane ke liye

मोना गुलाटी

अन्य

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मोना गुलाटी

मुक्ति पाने के लिए

मोना गुलाटी

और अधिकमोना गुलाटी

    पूरे शहर में बहुत बड़ा उत्सव है। ख़ुश हो रहे हैं

    तालियाँ बजा-बजा कर बीस हज़ार लोग

    तेज़ पहियों के साथ पूरे देश में घसीटा जाएगा

    क़ैदियों को।

    मैंने कल जाकर क़ैदियों में लिखवा दिया है

    अपना नाम,

    विक्षिप्त होने के लिए!

    विध्वंस और प्रलय की अनवरत प्रतीक्षा में

    मैंने सही हैं यंत्रणाएँ

    प्रसव-पीड़ाएँ, भ्रूण-हत्याओं के दुःख।

    मैंने पूरी शताब्दी को वेश्या होते देखा है

    और देखा है

    नीली वेदनाओं में किसी का नाम भी अंकित

    होना।

    दाग़ दिया है मैंने अपने जिस्म को फटी आँखों के पिघलते

    लावे से। शिवलिंग की सभी आकृतियों पर डाल दिए हैं

    कौपीन वस्त्र। अब

    मुझसे नहीं सही जाती

    प्रतिश्रुत होने की जलन

    नग्न पीढ़ी की भूख

    लिबलिबाते हाथ

    चिपचिपाती धुंखीं बेमतलब चिल्लाहटें और

    फूहड़ आँखों की ख़ूँख़ार आग।

    तंद्राओं से मुक्ति पाने के लिए

    मैंने बार-बार अपने

    होने की घोषणा की है और

    काट दिए हैं ऐतिहासिक नाम, संधियाँ और

    युद्ध।

    स्रोत :
    • पुस्तक : महाभिनिष्क्रमण (पृष्ठ 12)
    • रचनाकार : मोना गुलाटी

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