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मृत्यु में सबसे निकटतम तक नहीं पहुँच सकता

mrityu mein sabse nikattam tak nahin pahunch sakta

एलेन गिन्सबर्ग

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एलेन गिन्सबर्ग

मृत्यु में सबसे निकटतम तक नहीं पहुँच सकता

एलेन गिन्सबर्ग

और अधिकएलेन गिन्सबर्ग


     
    हम मृत्यु के बारे में वह सबकुछ जानते हैं
    जो हम कभी भी जान सकेंगे
    क्योंकि हम सभी ने अनुभव की है वह स्थिति
    पैदा होने के पहले ही।
    जीवन अँधेरे में खुलने वाले दो दरवाज़ों के
    बीच की यात्रा लगता है।
    दोनों वही हैं और वस्तुतः शाश्वत,
    और यह कहा जा सकता है कि हम अँधकार में मिलते हैं।
    शाश्वत छोरों के इस मिलन में ही
    उद्‌भासित होती है काल की प्रकृति
     
    विस्मयकारी है ऐसा सोचना
    कि मनुष्य का चिंतन और व्यक्तित्व
    उसके अनंत में प्रयाण के बाद ही
    काल में अमरत्व प्राप्त करते हैं।
    यदि तुम क़ब्र से बाहर देखोगे इसकी तरफ़
    तो पाओगे कि एक काल ही सर्वकाल है।
     
    स्रोत :
    • पुस्तक : पुनर्वसु (पृष्ठ 153)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : एलेन गिन्सबर्ग
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1989

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