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छुअन

chhuan

मुदित श्रीवास्तव

अन्य

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और अधिकमुदित श्रीवास्तव

    मैं एक पहाड़ की तरह था—

    कठोर, असमतल, मटमैला :

    भीतर एक ज्वालामुखी को पनाह देकर

    उसे ढूँढ़े जाने की प्रतीक्षा में

    हमेशा से स्थिर और अडिग

    तुमने अपनी हथेलियों से जब

    इस पहाड़ की पीठ पर हाथ फेरा

    तो नदियाँ उमड़ पड़ीं भीतर से

    जैसे हज़ार सालों से जमी रात को

    किसी सुबह की धार ने छू लिया हो

    आग-सा सूखा सब

    मिट्टी-सा गीला और नरम हो गया

    सदियों एक ही जगह

    खड़े रहने के बाद

    तुम्हारी छुअन से मैं चल पड़ा—

    किसी दूसरे पहाड़ की ओर

    अपनी छुअन उसे देने

    छू लेना—

    प्रेम स्थानांतरित करने का

    सबसे बेहतर ज़रिया है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मुदित श्रीवास्तव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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