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जन्मभूमि आज

janm bhumi aaj

बीरेंद्र चट्टोपाध्याय

अन्य

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और अधिकबीरेंद्र चट्टोपाध्याय

    एक बार धरती की तरफ़ देखो

    लोगों की तरफ़ देखों एक बार।

    रात बाक़ी है अभी;

    दिल पर पसरा है अभी अँधेरा भी

    भारी चट्टान-सा, साँस भी नहीं ले पा रहा रहे तुम।

    माथे ऊपर काला भयानक आस्मान

    बैठा है पंजा फैलाए बाघ-सा अभी भी।

    जैसे भी हो सरकाओ इस चट्टान को

    और बता दो इत्मिनान के लहज़े में आस्मान के भयंकर को

    तुम डरे नहीं हो।

    धरती तो आग की तरह होगी ही

    गर तुम्हें अन्न उगाना नहीं आता

    गर भूल जाओगे बारिश बुलाने का मंत्र

    मरुभूमि हो जाएगा तुम्हारा वतन।

    जो इंसान गीत गाना नहीं जानता

    तबाही के समय वह गूँगा और अंधा हो जाता है।

    तुम धरती की तरफ़ देखो, वह इंतज़ार कर रही है,

    लोगों का हाथ थामो, कुछ कहना चाहते हैं वे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : बीरेंद्र चट्टोपाध्याय
    • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका

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