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चाँदनी में ताज

chandni mein taj

अनुवाद : नवारुण वर्मा

हरेकृष्ण डेका

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हरेकृष्ण डेका

चाँदनी में ताज

हरेकृष्ण डेका

और अधिकहरेकृष्ण डेका

    (भ्रमण के एक दिन)

    आसमान के बीचों-बीच शारदी पूनो का चाँद

    संगमरमर फलक पर खिल रही उदार मुस्कान,

    उमड़ रही उसी की रुपहली बाढ़

    घासों के चिकने ग़लीचों पर!

    सोया है इसी संगमरमरी भवन में

    अपनी पटरानी के साथ

    मुहब्बत का शहंशाह।

    मेरे सहयात्री भ्रमण-रसिक गण!

    तुम सभी तल्लीन हो निहारो इस प्रेम के भू-स्वर्ग को

    छक कर पीते रहो प्रेम-निर्झर का अमृत-जल।

    उस जल को पीकर तुम्हें कब दीख पड़ते हैं—

    वे अनगिन ठण्डे हाथ

    जो धरती के सन्नाटे से उभर आना चाहते हैं।

    और वे पीले चेहरे—

    जो संगमरमर के हर फलक में जड़े हैं।

    ये जिनके चेहरे हैं

    मुहब्बत के सेवक रहे वे भी

    क्योंकि

    मुहब्बत के शहंशाह के दिल के लहू के साथ मिलकर

    उनकी देह का लहू भी हो गया था बिल्कुल एक!

    धरती के छिपे छेदों से रिस-रिसकर

    उनका वही लहू

    किसी ज़माने में जा मिला था

    यमुना के मटमैले पानी में।

    और नहीं तो भला पीली-सी दीखती क्यों इस चाँदनी में

    संगमरमर की यह दूधिया क़ब्रगाह?

    मेरे सहयात्रियो,

    जबकि सुन रहे हो तुम लोग बड़ी तन्मयता से

    मुहब्बत की चिरंतन कहानी

    भूल-से चुके हो अपनी संसार-यातनाएँ

    मैं चुपचाप उठकर चला आया

    इस क़ब्रगाह के पिछवाड़े।

    और देख रहा, कैसा मूरख है वह चाँद

    कि भूलकर अपना काम

    बिखेर रहा अपनी सफ़ेद चाँदनी—

    यमुना के इस मटमैले पानी में भी!

    सूखी-सी धार! कितनी निरीह-सी लग रही यह यमुना!

    उसकी झँझरी में चमक रहा

    किसी विदेशी नारी का एक जरा-जीर्ण वसन।

    उधर अगर मिलती झीनी-सी झलक

    उलटी पड़ी नाव की उलटी पेंदी की

    तब तो पता ही कहाँ चलता

    यह पिछली बारिश की जल-समाधि की

    सिर्फ़ बची यादगार है!

    यमुना के दूसरे तट पर

    पिछली बरसात की बाढ़ों ने

    बहा दिया था जिन झोंपड़ियों को

    वे फिर खड़ी हो चुकी हैं।

    इस मुहब्बत की दुनिया में

    शरमाया हुआ अँधेरा

    सिकुड़ कर जा घुसा है

    उन्हीं झोंपड़ियों में।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविताएँ 1985 (पृष्ठ 39)
    • रचनाकार : हरेकृष्ण डेका
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 1990

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