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न सीमा न सम्मति

na sima na sammati

कैलाश पुरी

अन्य

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कैलाश पुरी

न सीमा न सम्मति

कैलाश पुरी

और अधिककैलाश पुरी

    जीवनक्रम घेरे में

    तेज़ गति से घूमता

    ऊर्जा है या मात्र गणना

    संघर्ष

    जीने का

    कर्त्तव्य सांसारिकता

    फ़ोन की घंटी का उत्तर

    जीवन की ज़रूरतें

    ख़रीदारी, भटकन

    देह चकनाचूर

    मुड़े-तुड़े ठूँसे कपड़ों का

    पालिथीन बैग

    कोने में चिंघाड़ रहा, उपेक्षित

    चार सीढ़ियाँ उतरकर

    बेसमेंट में वाशिंग मशीन

    धो दो, भले लोगो

    कैसे राह में बैठा हूँ, देर से मैं...

    बर्फ़ में जमा, मुर्ग़

    पेट जिसमें

    अपनी गर्दन, जिगर और कलेजा

    कितना अनर्थ

    पेट किसका भर पाएगा

    किसके पेट क़त्ल करने पर

    और फिर टोकरा बर्तनों का

    खा-पीकर आनंद करो, मौज लो

    रसोई पकाई, सफ़ाई, धुलाई

    क्या बकवास है

    आटोमेशन एक और संकट

    किसके लिए...

    जो विद्युत मशीनों का उपयोग करता

    हम तो पाँच मिनट

    दैनिक ख़बरें पढ़ने से भी गए

    दौड़-भाग की भीड़ में...

    और कामों की सूची

    एक फुट लंबी, यहाँ-वहाँ

    सीमा, सम्मति

    समय, प्रगति

    ऊर्जा है या गणना-मात्र

    मैं हूँ, जो समझूँ मैं

    अथवा कोई वह

    जो दुनिया देखती है

    जाने पहचाने, परखे, आज़माए

    लगने लगे, हम जो

    इसी क्रम में फँसे

    चकराते, खो जाते।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 272)
    • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014

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