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मेरी माँ

meri man

विमल कुमार

अन्य

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विमल कुमार

मेरी माँ

विमल कुमार

और अधिकविमल कुमार

    इसी शहर में मर गई मेरी माँ

    आई थी दरभंगा से

    दरभंगा यहाँ से हज़ार किलोमीटर दूर है

    कुछ दिन बाद मर गए

    मेरे पिता भी यहीं

    मरने से पहले उन्होंने कहा

    एक झूठ लेकर जा रहा हूँ इस दुनिया से बेटा

    सच यह है कि तुम्हारी माँ

    ट्रेन में ही मर गई थी

    मैं उसी समय ट्रेन के पास गया, पूछा

    माँ क्या तुम्हारी गोद में ही मरी थी

    ट्रेन में बहुत भीड़ थी

    बच्चे थे बूढ़े और औरतें थीं ठुँसी हुईं

    कोई कुछ सुन नहीं पा रहा था

    ट्रेन कुछ बोले

    कि इससे पहले एक खोमचेवाला बोल उठा

    हाँ हाँ कुछ दिन पहले इस डिब्बे में आई थी

    एक औरत दुबली-पतली मरियल-सी

    लेकिन वह सीट पर बैठने से पहले ही मर चुकी थी

    मैं भागा-भागा गया गाँव

    गाँववालों ने कहा

    तुम्हारी माँ शादी में ही मरी आई थी यहाँ

    ज़रूर मरी होगी वह अपने घर

    मैं ननिहाल जब पहुँचा

    तो लगभग चीख़कर पूछा उसके घर से

    तुमने क्यों ली आख़िर मेरी माँ की जान

    घर ने कहा

    देखते ही मेरी हालत

    पिछले दस सालों से मैं बारिश में भीग रहा हूँ

    पाँच सालों से तो मुझे ज़ुकाम है

    और हर गर्मी में लग जाती है मुझे लू!

    स्रोत :
    • पुस्तक : सपने में एक औरत से बातचीत (पृष्ठ 66)
    • रचनाकार : विमल कुमार
    • प्रकाशन : आधार प्रकाशन
    • संस्करण : 1992

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