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मेरी भी आभा है इसमें

meri bhi aabha hai ismen

नागार्जुन

अन्य

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नागार्जुन

मेरी भी आभा है इसमें

नागार्जुन

और अधिकनागार्जुन

    नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है

    यह विशाल भूखंड आज जो दमक रहा है

    मेरी भी आभा है इसमें

    भीनी-भीनी ख़ुशबूवाले

    रंग-बिरंगे

    यह जो इतने फूल खिले हैं

    कल इनको मेरे प्राणों ने नहलाया था

    कल इनको मेरे सपनों ने सहलाया था

    पकी सुनहली फ़सलों से जो

    अबकी यह खलिहान भर गया

    मेरी रग-रग के शोणित की बूँदें इसमें मुस्काती हैं

    नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है

    यह विशाल भूखंड आज जो चमक रहा है

    मेरी भी आभा है इसमें

    स्रोत :
    • पुस्तक : नागार्जुन रचना संचयन (पृष्ठ 175)
    • संपादक : राजेश जोशी
    • रचनाकार : नागार्जुन
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2017

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