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मेरे मित्र-मेरी बहनें

mere mitr meri bahnen

फ़्रांसिस्को लोपेज़ मेरिनो

अन्य

अन्य

फ़्रांसिस्को लोपेज़ मेरिनो

मेरे मित्र-मेरी बहनें

फ़्रांसिस्को लोपेज़ मेरिनो

और अधिकफ़्रांसिस्को लोपेज़ मेरिनो

    मेरे मित्र, मेरी बहनें इतवार को मेरे बाग़ से गुलाब

    चुनने आते हैं

    और फ़्रेंच कविता की कुछ किताबें माँग ले जाते हैं

    जैसे म्यूसे या सामें के पृष्ठों में से सहसा निकल कर

    वे हरी दूब पर टहलने लगते हैं, फूल चुनने लगते हैं—

    वे सुंदर शब्दावलियों और स्वच्छ चमकदार सुबहों के प्रेमी हैं,

    एक सुंदर कलापूर्ण प्रतिमा उनके मन के रेशे को कँपा देती है

    वे हेमंत की संध्याओं की प्रतीक्षा में हैं

    क्योंकि तब खिड़कियों के शीशे में से सभी कुछ

    स्वर्णाच्छादित मालूम पड़ता है

    और वे इतवार को फूल चुनने आते हैं—वे जानते हैं

    कि उनकी आवाज़ों की गूँज मुझे प्यारी है

    वे अनजाने ही हँसते हैं।

    और पाँखुरियों में अपनी हँसी छोड़ जाते हैं

    मेरे मित्रो! स्नेह भरी बहनो! जब पानी बरसे

    तो मत आना—

    उन दिनों अंधड़ में जो कलियाँ बिखर जाती हैं

    उन्हें मैं बीन लाता हूँ, गुलदस्ते में लगाता हूँ

    उनके पास म्यूसे या सामें की काव्य-कृतियाँ रख देता हूँ!

    स्रोत :
    • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 78)
    • संपादक : धर्मवीर भारती
    • रचनाकार : फ़्रांसिस्को लोपेज़ मेरिनो
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
    • संस्करण : 1960

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