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कवियों की इच्छा के विरुद्ध

kawiyon ki ichha ke wiruddh

बद्री नारायण

अन्य

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बद्री नारायण

कवियों की इच्छा के विरुद्ध

बद्री नारायण

और अधिकबद्री नारायण

    उस दिन माँ की मृत्यु के बाद हुए कर्मकांड में

    गरुड़ पुराण सुनते हुए मुझे लगा कि

    अगर यह दुनिया बन नहीं रही है

    कवियों की इच्छा के मुताबिक़

    तो सर्वनाश होगा

    पूर्ण नहीं हो पाएगा ऐसी दुनिया के बनने का काम!

    उनकी मृत्यु के बाद उनकी अतृप्त आत्माएँ

    दुनिया बनाने वालों को ज़रूर तंग करेंगी।

    दुनिया के निर्माताओ, सदी के नायको

    उद्योगपतियो, शेयर बाज़ार के मालिको

    भड़ुए, दलालो

    तुम्हें तंग करेंगी उनकी अतृप्त आत्माएँ

    पीपल पर टँगे घट से उतर कर

    अपनी मृत्यु के ग्यारहवें दिन

    वे तुम्हारी बीवियों की कोखों को ज़रूर नष्ट कर देंगी

    तुम्हारी भावी संततियों पर वे गिरेंगी

    पक्षाघात की तरह

    और उफनती आकांक्षाओं पर महामारी की तरह

    सुनबहरी, सन्निपात, डायबिटीज़

    और जाने क्या-क्या

    जिससे तुम कर नहीं पाओगे इस दुनिया का उपयोग

    डॉलर, गिल्डर, येन

    बैंक, गड़े धन

    कार, भूमंडलीय बाज़ार

    सब जलकर हो जाएँगे ख़ाक एक रात

    अगर यह बात सच है कि

    यह दुनिया बनाई जा रही है

    कवियों की इच्छा के विरुद्ध।

    स्रोत :
    • पुस्तक : खुदाई में हिंसा (पृष्ठ 144)
    • रचनाकार : बद्री नारायण
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2010

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