मरीचिका

marichika

अग्निपुष्प

अग्निपुष्प

मरीचिका

अग्निपुष्प

मेरे देश का संविधान

कुछ लोगों की सुविधा के लिए बनाया गया है

और जनतंत्र कभी संसद में

और कभी सड़क पर

ख़ाली कनस्तर-सा लुढ़क रहा है।

तीस वर्षों के बाद संसद में दूसरी स्वतंत्रता

घोषित की गई है

फिर लाशों की एक ढेर पर

तबक चिपका दिया गया है।

तस्वीर बदलने के साथ, फ्रेम नहीं बदल जाता

मुखिया के बदल जाने से

गाँव नहीं बदल जाता

सरकार के बदल जाने से

व्यवस्था नहीं बदल जाती।

संविधान को तुम कब तक संजोगे रहोगे

जनतंत्र का जाल कब तक बुनते रहोगे

संसद के अंदर आने-जाने के बहाने

कब तक बनाते रहोगे

गाँव की हवा बदल गई है

इस पतझड़ के बाद

अमलतास के पत्ते भी बदल गए हैं।

स्रोत :
  • पुस्तक : मैथिली कविताएँ (पृष्ठ 44)
  • संपादक : ज्ञानरंजन, कमलाप्रसाद
  • रचनाकार : अग्निपुष्प
  • प्रकाशन : पहल प्रकाशन
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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