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मैं भूल चुका हूँ शब्द

main bhool chuka hoon shabd

अनुवाद : कमलेश

ओसिप मंदेलश्ताम

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ओसिप मंदेलश्ताम

मैं भूल चुका हूँ शब्द

ओसिप मंदेलश्ताम

और अधिकओसिप मंदेलश्ताम

    मैं भूल चुका हूँ शब्द जो मैं कहना चाहता था

    अपने अंधे, कटे हुए डैने फड़फड़ाते अबाबील

    वापस आती है

    छाया-महल में पारदर्शी मित्रों के पास

    विस्मृति के देश में गाया जा रहा है एक

    निशा-गान

    चिड़िए गाते नहीं गीत, शाश्वत कली

    खिलती है

    रात के घोड़ों की अयाल दृष्टि से ओझल हो

    जाती है

    सूखी नदी पर एक ख़ाली नाव बहती है

    और झींगुरों के बीच शब्द खो जाता है

    फिर धीरे-धीरे वह उदित होता है, एक तनोबे

    की तरह, एक मंदिर की तरह

    और पागल एंटीगीन होने का नाट्य करता है

    या मरते हुए अबाबील की तरह मेरे पाँवों पर

    गिर पड़ता है

    एक नरकलोक की कोमलता के साथ, हरी

    टहनी की तरह

    आह! उन सजीव, देखती, अँगुलियों का पुनः

    स्मृति में उतरना

    पहली पहचानें, उन का मूर्तिमान सुख

    मुझे डर है शाश्वत दासियों के रोते रहने का

    कुहासे का, गूँज का, रिक्ति का

    हमारी नश्वर शक्ति है अनुराग और ज्ञान

    आदमियों की अँगुलियों से एक सम आवाज़

    निकलती है

    लेकिन मैं भूल चुका हूँ शब्द जो मैं कहना

    चाहता था

    और शरीर विहीन विचार छायादेश में लौट

    आता है

    और छाया बोलती रहती है लेकिन उसका

    अर्थ ग़लत है

    वह अभी भी अबाबील है, चुलबुली, ऐंटीगीन है

    और मेरे ओठों पर काले बर्फ़ की तरह

    जलती है

    नरकलोक की गूँज की स्मृति

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 289)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : ओसिप मंदेलश्ताम
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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