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महँगे जूते

mahnge jute

विनोद भारद्वाज

अन्य

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विनोद भारद्वाज

महँगे जूते

विनोद भारद्वाज

और अधिकविनोद भारद्वाज

    महँगे जूतों का सपना

    महँगा नहीं होता

    जब वे ख़रीद लिए गए

    तो बच्चे ने

    एक अच्छा-सा सपना देखा

    शीशे की

    शानदार शो विंडो में

    संसार के सबसे महँगे जूते

    सजे हुए थे

    बच्चा बाहर खड़ा

    उन्हें ग़ौर से देख रहा था

    एक दूसरे सपने में

    उसने फ़िल्म देखी

    'गोल्ड रश'

    बर्फ़ से बचने के लिए बनाए गए

    भारी-भरकम जूते की एक जोड़ी

    खौलते पानी में उबल रही है

    चैप्लिन उस जोड़ी के

    फ़ीतों को

    नूडल्स की तरह खा रहा है

    सपना टूट जाता है

    माँ आकर देखती है

    बच्चे को

    निहारती है

    उसे बच्चे के मन का

    भय नहीं नज़र आता

    कितने सुंदर दिन हैं

    वह सोचती है

    बच्चे को ख़रीदकर दिए

    मैंने संसार के सबसे महँगे जूते

    बच्चा महँगे जूतों के

    डिब्बे को भी

    सँभालकर रखना चाहता है

    वह चाहता है कि

    इन जूतों पर

    गोबर-मिट्टी लगे

    आख़िर

    पैदल चलने के लिए

    नहीं होते महँगे जूते।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विनोद भारद्वाज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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