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हत्याओं की रपट

hatyaon ki rapat

शुभम नेगी

शुभम नेगी

हत्याओं की रपट

शुभम नेगी

वे लड़के

जो लड़कों के हाथ थामना चाहते थे

जो लड़कों की पलकों को चुम्बन से

सौंपना चाहते थे सदाबहार सपने

वे लड़के जिनके प्रेम ने बोई

सँकरी सलाख़ों की विषैली फ़सल

वे लड़के जो किताबी प्रेम-कहानियों में ढूँढ़ते फिरे

उनके लिए आरक्षित कोना

वे लड़के जिनके लिए कोई कोना नहीं था

वे लड़के

जो पकड़े गए बिस्तर पर लड़के के साथ

वे लड़के जिनकी पिंडलियों पर नील हैं

वे लड़के जो मुँह में जुराबें ठूँस चीख़े हैं

वे लड़के जिनसे कहा गया—बेटा समझो

वे लड़के जिन्हें समझा नहीं गया

वे लड़के

जो लड़के थे

पर लड़के नहीं थे

वे लड़के

जो आदमी बने

मर्द नहीं

वे आदमी

जिनकी पलकों की अंदरूनी सतह फफूँद है

वे आदमी जो बीवियों के नाम

धोखे लिखने पर मजबूर हैं

वे आदमी जिनका परिवार

उनकी देह के अभिनय का पुरस्कार है

वे आदमी जिनके मुँह, कान, आँख, नाक नहीं हैं

वे आदमी जिनकी शक्लों पर डाका पड़ा है

वे आदमी जिनकी मुस्कुराहटें शोकगीत हैं

वे आदमी जिनके मुँह में जुराबें ठुँसी हैं

वे आदमी जिनके कमरों को

मुँह-ज़बानी याद हैं सुसाइड लेटर

वे आदमी।

शायद दिखें तुम्हें अब साक्षात्

तुम्हारी गलियों, दुकानों, घरों, दफ़्तरों,

पूजाघरों में वे आदमी

जब पाएँगे अपनी शक्लें वे आदमी

तो हत्याओं की रपट होगा साहित्य

इंसान के सबसे भद्दे अपराध का ब्योरा

और गोष्ठियाँ क्या होंगी

साक्षात्कार, शोकसभाएँ, या कटघरे?

स्रोत :
  • रचनाकार : शुभम नेगी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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