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नेता

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सुशीलनाथ कुमार

अन्य

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और अधिकसुशीलनाथ कुमार

    नेता आकर्षित करते हैं

    जब वे चूम लेना चाहते हैं सारी चौखटें

    लोगों की बातें सुनने के लिए

    जाते हैं उनके दरवाज़े पर

    उनकी ज़िम्मेदारियाँ सबसे बड़ी होती हैं

    उनकी रैलियों और वायदों की तरह

    जब वे संसद और विधानसभाओं में चीख़ते हैं

    जनता और देश की बदहाली के लिए

    करते हैं अनशन और देशबंदी

    ले आते हैं भूखे देश को सड़कों पर

    पुलिस की लाठी और गोली खाने के लिए

    फिर ग़ायब हो जाते हैं

    बड़ी-बड़ी कारों से

    गुप्त सुरंगों में

    निर्लज्जता की बात कितने ही मधुर ढंग से सुनाई जाए

    उससे घृणा ही उपजती है

    उम्मीद जगाते हैं समाजसेवी और पत्रकार

    जब वे दलित बस्तियों में साफ़-सफ़ाई और शौच

    रेडलाइट एरिया में वेश्याओं की जीवन-दशा

    जानने के लिए घुस जाते हैं

    गंदगी और बदबू से भरी सँकरी बस्तियों में

    रिपोर्टें बनाकर सेमिनार हॉल में

    करते हैं ज्ञान वर्द्धन

    टीवी की बहसों में सूट-बूट पहनकर

    कोसते हैं समाज और सरकार को

    फिर डूब जाते हैं

    प्रेस क्लब और कॉफ़ी हाउस के

    प्यालों और जामों में

    गंदगी की स्मृतियों से निज़ात पाने के लिए

    काम की तलाश में

    सड़कों और दफ़्तरों की ख़ाक छानते लोग

    उजले भविष्य की तस्वीर के

    निगेटिव की तरह लगते है

    धूल में सने उनके पुराने जूते

    जिन पर वे रोज़ सुबह पॉलिश करते हैं

    उनकी देह की तरह लगते हैं

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुशीलनाथ कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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