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लगा जाना निज मोहर समय पर

laga jana nij mohar samay par

रणधीर सिंह

रणधीर सिंह

लगा जाना निज मोहर समय पर

रणधीर सिंह

चाल समय की और समय को

बदल लगा दो ज़ोर समय को

श्रम का अंकुश डाल समय को

जग रोशन कर घोर समय को

आँसू में मत घोल समय को

नर्तन में बोल समय को

करो काग से मोर समय को

मत दो ढीली डोर समय को

कसकर रखना डोर समय की

समय कँटीला घर आए

समय को नाथ के रखो

बाँसुरी जैसे पोर समय को

मानो आँख की कोर समय को

लहू जैसा भोर समय को

आगे मत कर और समय को

प्यार का दे दो लोर समय को

लगवा लो हर ओर समय को

खेल खिलाओ छोर समय को

लीपो मत इस घोर समय को

कर दो और से और समय को

लगवा अपनी मोहर समय को

‘रणधीर’ साधो शोर समय को

स्रोत :
  • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 377)
  • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
  • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2014

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