हमर प्रेम
हमर ठोरक पपड़ीपर जे एक टा मर्म सुखा रहल अछि
हमर जिह्वापर जे धूरा उड़ि रहल अछि
हमर सोनितक धारसँ जे धधरा उठि रहल अछि
हमर देहक शंखसँ जे समुद्रक आवाज आबि रहल अछि
हमर आत्माक अन्तरिक्षमे जे चिड़ै-चुनमुनी कलरव कऽ रहल अछि
हमर स्मृतिक गाछपर जे झिमिर-झिमिर बरखा भऽ रहल अछि
तकरा सभक चोट आ खोंचकेँ
टीस आ मोंचकेँ रूप आ रंगकेँ
स्वर आ गंधकेँ
पानक एक टा बीड़ा बनाकऽ कोना
हम अहाँक आगू राखि दी आ कही—
लिअऽ ग्रहण करू ई थिक अहाँक प्रति हमर प्रेम
जखन कि हमरा बूझलए
जे हमर प्रेम
गुड़ियाममे बान्हल एक टा पियासल बरद अछि
जे खाली बाल्टीकेँ देखि देखिकऽ भरि राति हकरैत अछि
हमर प्रेम अछि
छिट्टासँ झाँपल एक टा छागर
जे बन्द दुनियासँ बहरयबाक बेर-बेर चेष्टा करैत अछि
आ बेर-बेर खसि जाइत अछि ओही अन्हारमे
हमर प्रेम धूरा-गर्दा मे जनमल एक टा टुग्गर चिलका अछि
जे दीने-देखार हेरा गेल अछि
बीच बाजारमे
तखन अहीँ कहू
हम कोना अपन आत्माक फोकाकेँ
एक टा मृदुल भंगिमाक संग अहाँक सम्मुख तस्तरीमे राखि दी
आ कही—
लिअऽ ग्रहण करू...
हमर प्रेम जँ किछु अछि तँ एक टा फूजल केबाड़
हमर प्रेम जँ किछु अछि तँ एक टा कातर पुकार
कि आउ
अइ दुनियाक सभसँ कोमल आ सभसँ धरगर चीज बनिकऽ
आबि जाउ
अहाँक स्वागतमे
हमरा ठोरसँ लऽ कऽ अहाँक ओसार धरि जे ओछाओल अछि
ओ कोनो कालीन नहि
अहाँक तरबा लेल व्यग्र
निरंतर खूनसँ छलछल करैत हमर हृदय अछि
आ हमर हड्डीक प्राचीन अन्हारमे
ओसक एक टा बुन्न सन कोमल
अनेक युगसँ अहाँक बाट ताकि रहल अछि हमर प्राण
हमर प्राण अछि अहाँक आघात लेल
आतुर
अहाँक आघात एहि जीवनक एक मात्र त्राण
- पुस्तक : एकटा हेरायल दुनिया (पृष्ठ 37)
- रचनाकार : कृष्णमोहन झा
- प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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