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एहेन समयमे अहाँक समाद भेटल

कृष्णमोहन झा

अन्य

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कृष्णमोहन झा

एहेन समयमे अहाँक समाद भेटल

कृष्णमोहन झा

और अधिककृष्णमोहन झा

    जहिना कटहरक सगर देह

    असंख्य काँटसँ छारल रहैत अछि

    ठीक ओहिना

    नगरक समस्त डगर

    अछि पुलिससँ ठसाठस भरल

    बैरिकेडसँ गतानल

    एखन हँसबाक अर्थ अछि अपराध

    कानबाक विद्रोह

    विद्रोहक सजाय मृत्युदण्ड सुनिश्चित अछि

    एहेन समयमे अहाँक समाद भेटल

    जे कविता बिना

    अहाँक घर अछि बथान बनल

    चिनुआरपर ठाँ नहि

    चूल्हिमे नहि अछि आगि

    लोटामे पानि नहि

    फुलडालीमे नहि रहैत अछि फूल

    कविता लेल अहाँ सभ बेकल छी

    हाथ-पयर रहितो बनल छी लोथ-नाँगड़-लूल्ह...

    तेँ

    सिंगार-पटार नहि

    गाड़ी-ओहार नहि

    भाइ-बापक संग नहि— सनेस-भार नहि

    बेटीकेँ हम

    जहिना-तहिना पढ़िए साड़ीमे पठा रहल छी

    एहेन समयमे आब केओ

    समयपर कतहुँसँ विदा होअय

    समयपर पहुँच जाय

    अइ जीवनमे

    नहि बचल तकर अवकाश

    तेँ

    रातिमे

    आकि भिनसराक आसपास

    जँ पुबरिया घरक केबाड़ खुलबाक भान होअय

    तँ चोर-चोर कहि कऽचिकरि नहि उठब

    भऽ सकैए

    ओसारपर थरथर कँपैत घाममे भिजैत

    अहाँक आगूमे बेचारी कविता ठाढ़ हो

    अइ बातकेँ लगभग प्रमाणित करैत—

    जे एहि सभ्यताक चमचम करैत समियानामे

    भाला बरछी जखन

    मनुक्खक अँतड़ीकेँ ताकि रहल हो

    मनुक्खक कोनो कला कोनो स्वप्न कोनो कविता

    चोरे बनिकऽ अपन प्राण बचा सकैत अछि

    स्रोत :
    • पुस्तक : एकटा हेरायल दुनिया (पृष्ठ 75)
    • रचनाकार : कृष्णमोहन झा
    • प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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