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कोमल भावना

komal bhawna

अनुवाद : दिनकर सोनवलकर

ग. दि. माडगूळकर

ग. दि. माडगूळकर

कोमल भावना

ग. दि. माडगूळकर

मेरी कोमल भावना को ठुकरा दे तू चाहे

तहस-नहस कर दफ़ना दे ज़मीन में

मगर वही उगेगी बनकर कोमल लता

तेरे आँगन में, जिस पर रीझेगा बसंत।

मेरी कोमल भावना को कुचल दे पैरों से

और डुबा दे चाहे तू अथाह सागर में

मगर वही उभरेगी बनकर छोटी नौका

और तुझे ले जाएगी दुःख के पार।

मेरी कोमल भावना को हाथों से मसल के

फेंक दे चाहे ग़ुस्से से जलती लपटों में

मगर वही चमकेगी ज्योति रूप धरकर

भर देगी प्रकाश तेरे अँधियारे जीवन में।

मेरी कोमल भावना को धूल में मिला के

फेंक दे चाहे तू चंचल हवाओं में

मगर वही विकसेगी नया अंकुर बन के

तेरी खिड़की के पास गाएगी गीत नया।

मेरी कोमल भावना को ग़ुस्से से पागल हो

फेंक दे चाहे तू मीलों दूर आकाश में

मगर वही पा लेगी मेघों का रूप-रंग

और तेरे आँगन सावन में बरसेगी।

मेरी कोमल भावना

महाभूतों की तरह नश्वर

उसे दे सकेगी चेतना

केवल तेरी प्रीत।

तेरे प्रेम के बिना

यह कोमलता ही

बनेगी कठोरता

और भटकेगी जन्म-जन्मांतर तक।

स्रोत :
  • पुस्तक : प्रतिनिधि संकलन कविता मराठी (पृष्ठ 53)
  • रचनाकार : कुसुमाग्रज
  • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
  • संस्करण : 1965

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