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किताबों के पन्ने

kitabon ke panne

प्रमिला शंकर

अन्य

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प्रमिला शंकर

किताबों के पन्ने

प्रमिला शंकर

और पन्नों में महकते

गीले गुलाब हो

चाँद हसीन और

सितारे जगमगाते

हो...

ज़रा-सी ऐसी ज़मीन

मेरे हिस्से में हो

कि दरख़्तों में

साज़, हवाओं में

संगीत हो

फ़िज़ा रूमानी हो

इतनी कि

खेतों में टिम-टिमाते

जुगनू हो

मद्धम हो गर

रोशनी जुगनुओं की

तो...

चूल्हे में जलती

आग से रौशन रहे

ज़मीन मेरी

ताज़ी सिकी रोटियों की

महक से गुलज़ार हो

वतन मेरा

चाँद से ज़मीन का

और किताबों से रिश्ता

गुलाब का क़ायम रहे...

इस तरह इश्क़ मेरा

सलामत रहे!!

स्रोत :
  • रचनाकार : प्रमिला शंकर
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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