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किसने सोचा था

kisne socha tha

रामकुमार तिवारी

अन्य

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रामकुमार तिवारी

किसने सोचा था

रामकुमार तिवारी

दूर-दूर तक मूर्त हो चुकी दुनिया में

अपने होने के लिए

किसी के होने की शर्त

जब तर्क की तरह स्पष्ट हो जाए

और हर विश्वास आत्महत्या की तरह परिभाषित होने लगे

तब कोई विकल्प नहीं बचता

सिर्फ़ बचे रहना बचता है

इज़राइल अपनी हिंसा से

जो भय पैदा करता है

वही उसे बचाता है उसका अपना तर्क है

जिसे उसका इतिहास जातीय वेदना के साथ पुष्ट करता है

और इस तरह बचे रहने के लिए

उसके नागरिक उसे समर्थन देते हैं

जिस दिन वह अहिंसक हो जाएगा

उस दिन कौन-सी सभ्यता का विश्वास उसके आस-पास होगा

कि वह किसी तर्क की ओट में

मारा नहीं जाएगा

हिंसा के पास सबसे स्पष्ट तर्क होता है

जिसे सत्ता ठीक-ठीक पहचानती है

जिसमें राष्ट्र, क्षेत्र, धर्म, विचार, जाति, भाषा

और नस्ल के नागरिक

अपने-अपने भविष्य को देखते हैं

किसने सोचा था

इस नागरिक समय में एक दिन

मनुष्य होना इस तरह ग़ैरज़रूरी और तर्कहीन हो जाएगा!

स्रोत :
  • पुस्तक : अपनी परछाईं में लौटता हूँ चुपचाप (पृष्ठ 14)
  • रचनाकार : रामकुमार तिवारी
  • प्रकाशन : आईसेक्ट पब्लिकेशन
  • संस्करण : 2020

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