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किसी वन स्त्री के लिए

kisi wan istri ke liye

हरिंदर सिंह महबूब

अन्य

अन्य

हरिंदर सिंह महबूब

किसी वन स्त्री के लिए

हरिंदर सिंह महबूब

और अधिकहरिंदर सिंह महबूब

    तुम्हारी तरह ख़म पड़ते हैं हवा में

    हम चल पड़ते बियावान की ओर

    जब हवा को बताएँ तेरा नाम

    उसकी गोद में ओस और फल भर जाते

    तुम्हें वीरानी ढाक में खोजने को

    हम मिल जाते शैदाइयों संग

    हमारे नयन तेरी सूरत देखकर

    छिपते फूलों तले ख़म झेलते

    हमारे रूप-सौंदर्य की सीमा देख

    लाखों तालाबों के जल काँप उठते

    जब राह कोई सूझती हमें

    तो हमारा दम घुटने लगता है

    इस खेल को जारी रखने के लिए

    तेरे दीपक अंबर में जल उठते

    तुम्हारी तरह हवा में ख़म पड़ते हैं

    हम चल पड़ते एकांत वन की ओर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 266)
    • रचनाकार : हरिंदर सिंह महबूब कवि के साथ फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014

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