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कविता से माफ़ी

kawita se mafi

सदानंद शाही

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सदानंद शाही

कविता से माफ़ी

सदानंद शाही

और अधिकसदानंद शाही

    हे मेरी कविता!

    मुझे माफ़ कर देना

    मैं तुम्हें बस काग़ज़ की नाव पर बैठा कर

    छोड़ आया हूँ महासागर में

    बिल्कुल निहत्था

    कि

    ज़रा अरब सागर की लहरों का हाल-चाल ले लेना

    वहाँ इतना हाहाकार

    क्यों है

    कि

    देख लेना प्रशांत महासागर का मादक संगीत

    कैसे

    थम-सा गया है

    हिंद महासागर में गिरने वाली नदियों का

    चीत्कार भी सुन लेना

    थोड़ा समय निकालकर

    मिल लेना गंगा से

    सुना है

    आजकल अस्थमा से परेशान है

    यमुना से मिलना

    तो पूछ लेना

    उसके टॉयफायड का हाल

    और जब यह सब कर लेना

    तो एक उपकार और करना

    मेरे घर की ओर बहने वाली नदी

    सदानीरा की उदासी का सबब भी

    जान लेना

    इस तरह

    दुनिया भर की समस्याएँ

    देश के भीतर की उठापटक

    यहाँ तक कि दफ़्तर की फँसाहटें

    गाँव-जवार की झंझटें

    सब तुम्हें सौंपकर

    निश्चिंत हो गया हूँ

    जब देखो तब

    तुम्हीं से करने लगता हूँ

    समय का रोना गाना

    हे मेरी कविता!

    मुझे माफ़ कर देना

    मैं तुम्हें काग़ज़ की नाव पर बैठा कर

    छोड़ आया हूँ

    महासागर में

    बिल्कुल निहत्था।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सदानंद शाही
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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